रोहतक, 26 फरवरी। केन्द्रीय स्तर की सभी ट्रेड यूनियनों व अखिल भारतीय कर्मचारी परिसंघ के आह्वान पर आज हरियाणा प्रदेश का सरकारी कर्मचारी राज्य सरकार की कर्मचारी, मजदूर व जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सडक़ों पर उतरा। रोहतक, हिसार, सिरसा, जींद, करनाल, अम्बाला आदि जिलों में कर्मचारियों ने भारी जोश के साथ भाजपा सरकार की गलत नीतियों व जनता को उल्लू बनाने के चलते काफी टकराव की स्थिति बन गई है। यह जानकारी देते हुए हरियाणा कर्मचारी महासंघ के प्रदेश महासचिव वीरेन्द्र सिंह धनखड़ ने बताया कि आज लाखों कर्मचारियों ने आज एकत्रित होकर जिला मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन किये तथा सरकार को 15 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया। यदि इस समय अवधि के दौरान हरियाणा कर्मचारी महासंघ को मांगों बारे नहीं बुलाया गया तो राज्य सरकार के खिलाफ नये सिरे से आंदोलन की शुरूआत कर दी जायेगी।
वीरेन्द्र सिंह धनखड़ ने बताया कि राज्य के कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में जो भाजपा सरकार के अपने चुनावी घोषणापत्र में भी अंकित की गई थी जिनमें पंजाब के समान वेतनमान, कच्चे कर्मियों को बिना शर्त पक्का करना, लाखों सरकारी रिक्त पड़े पदों पर पक्की भर्ती करना, निजीकरण, ठेकाकर व पीपीपी जैसी जनविरोधी नीतियों पर रोक लगाते हुए सीधे जनता से जुड़े हुए विभागों बिजली, पानी, परिवहन, स्वास्थ्य, शिक्षा व कृषि जैसे विभागों में स्थाई भर्ती द्वारा ही मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं तथा व्यवस्था का परिवर्तन भी इसी प्रकार संभव है।
प्रदेश महासचिव धनखड़ ने कहा कि सरकार से महासंघ की 23 दिसम्बर 14 को मांगों बारे बैठक के दो महीने का समय बीत चुका है परन्तु किसी कमेटी का गठन तक नहीं हुआ। उल्टा कुरूक्षेत्र के सांसद लगातार कर्मचारी विरोधी ब्यानबाजी कर रहे हैं। कर्मचारी नेता ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार के मन्त्रीयों, नेताओं के पूर्व सरकार में किये आन्दोलनों के केस तो सरकार ने वापिस कर लिये परन्तु बिजली निगम के 46 कर्मियों के आज भी मुकदमें दर्ज हैं। यदि आज के आन्दोलन में सरकार ने प्रताडऩा करने की कोशिश की तो महासंघ सहन नहीं करेगा और आन्दोलन को और तेज कर दिया जायेगा।